लफ्ज
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जब लफ्ज खो जाते है
हम समझ जाते है ---
हवा का वेग बन कर तुम
गुजरते हुए सिहरन सी
दे जाते हो ----
और मै निर्विकार ---निरुत्तर
सहम सा जाता हूँ -------
मुझे पता है ----हवाओं का
कोई रुख नहीं होता
वो दिशाओं में व्याप्त है
मेरे संस्कारों में कही
आगाज है -----
निरंतर --फिर निरंतर
वास्तविकता के धरातल पर
वही- कही ---
हम अभिव्यक्ति के लिए
लफ्ज खो जाते है --------?
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