Friday, September 9, 2011

बारूद की भाषा और हम


बारूद की भाषा और हम

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मर -मर के जीते है हम आज 
किस- किस की बात करे आज 
जिस राह  पर चलते थे बे- खोफ 
आज बारूद बिछे है मंजिलो में वही
भाषा बारूदी है मजहब नहीं कोई 
अक्स भी नहीं ज़िंदा है देखो तो यार 
कितने हैं ज़ख्मात हरे, आज राहों में 
अस्मिता   बारूद बन कर पीर झरूँ यारा---
सफ़र अभी लम्बा बहुत है यार ---
क्या कहूं बारूद की भाषा और हम और आप ----??????

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