सूरज जब चरम पर होता है
दिशाए भ्रमित करती है मुझे
सोंचता हूँ --तपन की आंच
और
स्नेहिल स्पर्श क्या होता है ---?
वक्त गुजरता है -----
अति आधुनिक हो चले हम और तुम
सूरज के अंतिम लम्हों तक
साथ चलने की कोशिश करते है
गंभीर होते समय के बीच
मुझे बहती दोपहर में
पलो को अपनों से ही
क़त्ल होते देखता हूँ ----?
दिशाए भ्रमित करती है मुझे
सोंचता हूँ --तपन की आंच
और
स्नेहिल स्पर्श क्या होता है ---?
वक्त गुजरता है -----
अति आधुनिक हो चले हम और तुम
सूरज के अंतिम लम्हों तक
साथ चलने की कोशिश करते है
गंभीर होते समय के बीच
मुझे बहती दोपहर में
पलो को अपनों से ही
क़त्ल होते देखता हूँ ----?
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