vartika
Friday, October 14, 2011
द्वंद
द्वंद
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मेरे अंदर होने वाला द्वंद
तुम्हारे और मेरे
अनुपूरक संबंधो को
गढ़ते है ------
जब अभिव्यक्ति खामोश होने
लगती है ----
अँधेरे छटपटाते है ----रौशनी
की दरकार में ------
ऐसे में मेरा फिर
अक्स वजूद खो देता है -------????
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