vartika
Wednesday, February 29, 2012
यही है जिन्दगी --------!!!!!!
यही है जिन्दगी --------!!!!!!
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मन की पीड़ा रिस रिस बहती
क्यों------?
मर्म के धरातल में
मारीचिका का
आभास --------?
दर्द का मूक पक्ष भी
अब बिना शोर-शराबे के
कुछ कह कर स्पंदित कर जाता है।
यही है जिन्दगी --------!!!!!!
वजूद
वजूद
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आज बेठे -बेठे
जरा हट के में सोचता हूँ
अचानक ऐसी कुछ बातें लिखूँ
जो हमारी स्थापित सोच,
हमारी संस्कृति और
समाज से जरा
परे हटकर हों.-----
अफ़सोस ------
मेरा वजूद नकार गया -------?
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