vartika
Monday, March 19, 2012
एक विचार
गीली आंखों से देखता हूँ जब कभी
मीठा पानी सा सपना दिखता है ----
पथरीली राहो पर चलते रहे लोग ----
भटकना हर पल पड़ता है ----
----
Saturday, March 10, 2012
दिए जलते है -
दिए जलते है --
यूं ही रहता है
पसरा हुआ-सा
एक गहरा शून्य
,सन्नाटा
चित्कार करता हुआ
अंतस को छीलता
,
और फिर छीन लेता है
वो एहसास भी
,
जो देता है ---
ख़ुद के इंसान होने का गवाह -----????
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