Wednesday, May 30, 2012

मांझी


छूने निकला 

मंजिल का किनारा 
बिन मांझी के------?

Saturday, May 26, 2012

ब्रह्म


कोई और 
तेरे सिवा कहता 
में  ही ब्रह्म हूँ  ----?

ताले


उनके पैरो
में पड़े छाले 
जुबां पे ताले ?

उजाला


चली पवन 
पत्तो ने शाख छोड़ी 
उजाला  होगा  ---?

एहसास है


हर लम्हा तो 
अतीत की यादों का 
एहसास है -----?
*************************
हर पलों में
है , यादें तेरी , ऐसी---
एहसास है -----?

  

Wednesday, May 23, 2012

भूख


सर्द रात की 
आगोश में रोशनी 
मेरी  थी  भूख---?

प्रणयी


हमने सीखा 
प्रणयी पथ पर 
यों   रुक जाना ----?

Tuesday, May 22, 2012

डबल रोल


जीने की चाह 
मेरा यू समर्पण 
डबल रोल ----

मन


निर्मम सोंच 
छलकता विश्वास 
व्याकुल मन ???

तुम


देश बदला 
हम भी बदले थे 
तुम बदलो ???

Saturday, May 19, 2012

सडको पर


जवाब नहीं
चिंतन पटल का 
सडको पर  ?

रेंगते लोग


रेंगते लोग 
छोड़ते केचुल भी
 मेरे भीतर ?

सूरज


नादाँ सूरज 
खामोश सतह पे 

बुझ गया है ?

रक्त रंजित


रक्त रंजित
चाँद निकला फिर 
धरातल पे--

मर्यादित


दान वीरता 
थोपी नहीं जाती है 
मर्यादित है !

आइना


खुद से कभी
फुर्सत किधर  है
आइना हूँ मै ?

दासता


जिंदगी कोई 
 उलझे सवालों की
दासता नहीं --?

खुद के लिए


जमीर मारा 
जो खुद  ज़िंदा  रहा  
खुद के लिए --?

Friday, May 18, 2012

सतह


आधुनिकता 
अजब दास्ता है
सतह पर 

देखा


 जब भी देखा
जीवन  खेते हुए
रेत पर  यूँ --?

धुँधले


थे पास खड़े 
अधखुली ख़ामोशी
जो - धुँधले थे ?

विचार


एक विचार
गहराने लगे थे 
उस पथ पे --

चाँदनी रात


चाँदनी रात
प्रेयसी और  बात 
टूटता साथ ?

संयोजन


नारी दोहन 
क्या है  संयोजन 
सिर्फ घुटन ?

जिन्दगी


तुमको देखा 
फुर्सत मिल गयी
जिन्दगी से--

मारीचिका


मन की पीड़ा
रिस रिस बहती
मारीचिका में--

वेग


संवेदनाओं 
का वेग और मेरी 
पीड़ा एक है--

भूख


"भूख की बात
अनमना सा मन
गलता तन--

सांप


वो सयाने है 
अपनी आस्तीन में 
सांप पाले है--

वजूद


जरा हट के
मेरा वजूद मुझे 
नकार गया --

खोज


डूबता हूँ तो 
कभी उस पल में 
अपनी खोज में--

आंसू..


उदास पल
लावारिस सा दर्द
देखो तो आंसू..

साया


खामोश साया
मिटाता तो है निशां
डरते हुए !

मन


चौखट पर 
माथा टेकता रहा 
बावरा मन !

Monday, May 14, 2012

मौत


छाँव की चोट 
धूप के छाले और
लबो पे मौत !

कैदी


सदियों तक 
न हाथ थाम सके 
साँसों के कैदी  !

Saturday, May 12, 2012

दर्द



दर्द से रिश्ता 
और भी गहरा है 
ये केसा खेला

एक विचार


एक विचार
गहराने लगे थे 
उस पथ पे 

Tuesday, April 24, 2012

लावारिस


लम्हों और पलो में जी है जिन्दगी 
उदास पलो में कभी उदास लम्हा --
बाहर से अंदर का वीरान सफ़र ---
समंदर की तरह लहरा  रहा दिल 
लावारिस सा दर्द छलक और
 यतीम सा हो गया है --?
मुझे तो प्यार से प्यार है ---?

Saturday, April 21, 2012

याद आई


मौसम ने आज फिर पायल पहनी है 
पर लब पर कोई आवाज नहीं ----
देखो ----ये केसा नूर है ---
राख के रंग में सने हुए 
याद आई थी वो जागी हुई गजल मुझे 
रास्ता खोये से हेरान --फरिस्तों जेसे -----???

Friday, April 20, 2012

आंसू


बियावान आँखों का जंगल 
खामोश अँधेरे के मजबूत साए ----
तारीक गवाह है ----ना कोई  सितारा 
ना कोई जुगुनुओ की लड़ी -----
ऐ ---आधियो ----
देखो तो ज़रा-------
कुछ तरसती निगाहों में 
दिए आज भी चमकते है ----
सर्द अहसास की दहकती ज़मी
पर तुम अचानक उन्हें ----
देखो गे तो सहसा कहोगे 
-----आंसू ------!!!!

Thursday, April 19, 2012

रौशन चिराग


अजब  दास्ताँ है -----
देखो -औ- आँधियों 
रौशन चिराग आज फिर 
उसी मोड़  पर ---
बुझ गया ---------
खो गयी हैं सभी मंजिले ,
अँधेरे में हर रहगुजर ---
क्या कहूँ ----
अब तू ही बता 
तेरे कदमो से निकलती है 
मेरी जिन्दगी की हर डगर ------?

दर्द से रिश्ता


तुम्हारे - हमारे ख्वाबो में 
रिवाजो का अजब पहरा  है ---
मालुम नहीं कौन  सी मज़बूरी थी वो  --
या फिर ये कोई खेला है ----?
तुम्हारी आँखों के कतरे की कसम ----
दर्द से रिश्ता अब मेरा 
और भी गहरा है -----?

Wednesday, April 18, 2012

कदमो के निशाँ

वीरान हो चुकी गहरी रातो में 
तेरा खामोश सा साया 
मेरे अश्को के समुंदर में आज भी 
मुस्कुराता तो है -------?---------
ये किसकी दस्तक है ------
कौन कुछ पैगाम लाता तो है ----?
बस बहुत हो चुकी --बहकी --बहकी बाते ---
हर गुमनाम रास्ते ----
खुद के कदमो के निशाँ ---
मिटाता तो है -----------?

Monday, March 19, 2012

एक विचार

गीली आंखों से देखता हूँ  जब कभी 
मीठा पानी सा सपना दिखता है ----
पथरीली राहो पर चलते  रहे लोग ----
भटकना हर पल पड़ता है --------

Saturday, March 10, 2012

दिए जलते है -


दिए जलते है --
यूं ही रहता है
पसरा हुआ-सा
एक गहरा शून्य,सन्नाटा 
चित्कार करता हुआ 
 अंतस को छीलता ,
और फिर  छीन लेता है 
वो एहसास भी ,
जो देता है ---
ख़ुद के इंसान होने का गवाह -----???? 

Wednesday, February 29, 2012

यही है जिन्दगी --------!!!!!!


यही है जिन्दगी --------!!!!!! 
***************************
मन की पीड़ा रिस रिस बहती
क्यों------?
मर्म के धरातल में 
मारीचिका का 
आभास --------?
 दर्द का मूक पक्ष भी 
अब बिना शोर-शराबे के 
कुछ कह कर  स्पंदित कर जाता है। 
यही है जिन्दगी --------!!!!!! 

वजूद


वजूद 
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आज बेठे -बेठे 
जरा हट के में सोचता हूँ 
अचानक ऐसी कुछ बातें लिखूँ 
जो हमारी स्थापित सोच,
हमारी  संस्कृति और
 समाज से जरा  
परे हटकर हों.-----
अफ़सोस ------
मेरा वजूद नकार गया -------?