Wednesday, May 30, 2012
Saturday, May 19, 2012
Friday, May 18, 2012
Tuesday, April 24, 2012
लावारिस
लम्हों और पलो में जी है जिन्दगी
उदास पलो में कभी उदास लम्हा --
बाहर से अंदर का वीरान सफ़र ---
समंदर की तरह लहरा रहा दिल
लावारिस सा दर्द छलक और
यतीम सा हो गया है --?
मुझे तो प्यार से प्यार है ---?
Saturday, April 21, 2012
याद आई
मौसम ने आज फिर पायल पहनी है
पर लब पर कोई आवाज नहीं ----
देखो ----ये केसा नूर है ---
राख के रंग में सने हुए
याद आई थी वो जागी हुई गजल मुझे
रास्ता खोये से हेरान --फरिस्तों जेसे -----???
Friday, April 20, 2012
आंसू
बियावान आँखों का जंगल
खामोश अँधेरे के मजबूत साए ----
तारीक गवाह है ----ना कोई सितारा
ना कोई जुगुनुओ की लड़ी -----
ऐ ---आधियो ----
देखो तो ज़रा-------
कुछ तरसती निगाहों में
दिए आज भी चमकते है ----
सर्द अहसास की दहकती ज़मी
पर तुम अचानक उन्हें ----
देखो गे तो सहसा कहोगे
-----आंसू ------!!!!
Thursday, April 19, 2012
रौशन चिराग
अजब दास्ताँ है -----
देखो -औ- आँधियों
रौशन चिराग आज फिर
उसी मोड़ पर ---
बुझ गया ---------
खो गयी हैं सभी मंजिले ,
अँधेरे में हर रहगुजर ---
क्या कहूँ ----
अब तू ही बता
तेरे कदमो से निकलती है
मेरी जिन्दगी की हर डगर ------?
दर्द से रिश्ता
तुम्हारे - हमारे ख्वाबो में
रिवाजो का अजब पहरा है ---
मालुम नहीं कौन सी मज़बूरी थी वो --
या फिर ये कोई खेला है ----?
तुम्हारी आँखों के कतरे की कसम ----
दर्द से रिश्ता अब मेरा
और भी गहरा है -----?
Wednesday, April 18, 2012
कदमो के निशाँ
वीरान हो चुकी गहरी रातो में
तेरा खामोश सा साया
मेरे अश्को के समुंदर में आज भी
मुस्कुराता तो है -------?---------
ये किसकी दस्तक है ------
कौन कुछ पैगाम लाता तो है ----?
बस बहुत हो चुकी --बहकी --बहकी बाते ---
हर गुमनाम रास्ते ----
खुद के कदमो के निशाँ ---
मिटाता तो है -----------?
Monday, March 19, 2012
एक विचार
गीली आंखों से देखता हूँ जब कभी
मीठा पानी सा सपना दिखता है ----
पथरीली राहो पर चलते रहे लोग ----
भटकना हर पल पड़ता है --------
Saturday, March 10, 2012
दिए जलते है -
दिए जलते है --
यूं ही रहता है
पसरा हुआ-सा
एक गहरा शून्य,सन्नाटा
चित्कार करता हुआ
अंतस को छीलता ,
और फिर छीन लेता है
वो एहसास भी ,
जो देता है ---
ख़ुद के इंसान होने का गवाह -----????
Wednesday, February 29, 2012
यही है जिन्दगी --------!!!!!!
यही है जिन्दगी --------!!!!!!
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मन की पीड़ा रिस रिस बहती
क्यों------?
मर्म के धरातल में
मारीचिका का
आभास --------?
दर्द का मूक पक्ष भी
अब बिना शोर-शराबे के
कुछ कह कर स्पंदित कर जाता है।
यही है जिन्दगी --------!!!!!!
वजूद
वजूद
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आज बेठे -बेठे
जरा हट के में सोचता हूँ अचानक ऐसी कुछ बातें लिखूँ
जो हमारी स्थापित सोच,
हमारी संस्कृति और
समाज से जरा
परे हटकर हों.-----
अफ़सोस ------
मेरा वजूद नकार गया -------?
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