Thursday, April 19, 2012

रौशन चिराग


अजब  दास्ताँ है -----
देखो -औ- आँधियों 
रौशन चिराग आज फिर 
उसी मोड़  पर ---
बुझ गया ---------
खो गयी हैं सभी मंजिले ,
अँधेरे में हर रहगुजर ---
क्या कहूँ ----
अब तू ही बता 
तेरे कदमो से निकलती है 
मेरी जिन्दगी की हर डगर ------?

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