Friday, April 20, 2012

आंसू


बियावान आँखों का जंगल 
खामोश अँधेरे के मजबूत साए ----
तारीक गवाह है ----ना कोई  सितारा 
ना कोई जुगुनुओ की लड़ी -----
ऐ ---आधियो ----
देखो तो ज़रा-------
कुछ तरसती निगाहों में 
दिए आज भी चमकते है ----
सर्द अहसास की दहकती ज़मी
पर तुम अचानक उन्हें ----
देखो गे तो सहसा कहोगे 
-----आंसू ------!!!!

1 comment:

  1. jabardast abbhibyakti,,,,,,,bas sunhalee si hoti jamee roshnee ke dwaar par...in aansuon ki jhalak me

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