स्पर्श
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यह हलका सा स्पर्श
रोज़मर्रा के
आम स्पर्श से अलग है
वो कहते है की --
हमने एक ऐसी संवेदिक प्रणाली
को खोज निकाला है
जो हलके से स्पर्श को
दिमाग़ तक पहुँचाने का काम
करती है.----
पर स्पंदन की सतह पर
आज हम एहसास को जीने के लिए
स्पर्श को --
गरिमा नहीं देते ------
क्या स्पर्श का मर्म
कमजोर हो रहा है ----?
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