जलते है आशियाने
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जल गये सब आशियाने जब
अपने के चरागों से ------
दो बूंद कतरा भी ना निकल सका
आँखों के पैमाने से -------
जलता आशियाना नहीं
अरमान है मेरे -----
तड़पती जिन्दगी में
धड़कते हम और तुम है कही
सुन नहीं रहे है लोग फ़रियाद अब
क्षत विक्षत सी हालत में--
देख के जलती हुई आशिआने की लाश
मुझे मेरा मुकदर याद आ गया ----!!
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