बंधन
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बंध गया हूँ आज
अपने बुने जाल में
मोह और अपनत्व ,
जीवन के जंजाल में
मेरा फेंका पासा
आज प्रासंगिक नहीं
सोंचा भौतिक जीवन ही
सच है -------?
बुद्ध भी महा भिनिशक्रमण के कारण
जाने जाते है ------
पर अब और नहीं -----
भ्रम अब और नहीं ----
कुछ पाने की चाह में ,
न जाने क्या-क्या मैं खोता गया..
बोता गया अपने आकांशाओ का बीज
मै अचंभित हेरान ---दूर कही ----
स्वीकारता हूँ ---गर्व से आज
बंधन के बीच , बंधा मै
अपने बंधन को खोजता हूँ ----?
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