Tuesday, September 6, 2011

दफन

दफन
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किसान की वेदना
तब समझ में आई
जब दफन हो गयी
उसकी लुगाई =====
और वो जमीन जो
गिरवी हो गयी कर्म में
जमीदार के मर्म में ----...
मै आज भी निर्विकार
सोंचता हूँ हर पल ---
क्यों होता है वो लम्हा
दफ़न ---एक विकार में
आह्लादित होता हूँ जान कर
वर्तमान की कब्र गाह पर
लम्हों -पालो को सिकुड़ना
मेरा अनजान बनना---और
किसान का कर्म करना ----
सच है आज बुनियादी बातो का
रोना --फिर  चीखना और
अंत में खामोश होना -----?
वेदनाओं को खोना ------------????????
कह सकता हूँ किसान की वेदना
अब समझ में आई --!!!!!!!!!!

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