मात्र एक शब्द नहीं है
"भूख "---------------
एक गूंगी अभिव्यक्ति भी नहीं है
"भूख "--------------
सर्द रात की आगोश में
रोशनी जब ख़त्म हो जाती है
अन्जान-अभिशप्त
पेट की आग है ------ये
"भूख "--------------
ठिठुरे हुए अंधेरो में
दुसरे को मारने की फ़िक्र है
"भूख" ---------
मेरी रचना है एक
"भूख" ------------------
भूख की मर्यादा और
मेरा समर्पण ----
टकराते हुए विचार
फिर सहमा -सहमा सा
चिराग ----
मध्यम रोशनी और पीड़ा
भूख की ----
असहनीय -असहाय
व्यंजनाओ के बीच
शहर में हो रहे जलसे में
"भूख " की बात
कूड़े का बंद डिब्बा ---
उसमे पड़ा बंद भोजन
अनमना मन ---
घुटन ही घुटन ----
संवेदनाओं का वेग और
मेरी भूख ------
मात्र एक रोटी की चाहत ----
कूड़े में पड़ी रोटी गायब ---
मुझे आज ज्ञात हुआ की --
भूख एक
ऐयाश बर्बर कोम का
नाम है
जो खुद को ज़िंदा
रखने के लिए
दुसरो को मार देती है -------!!!!
No comments:
Post a Comment