अनन्त आवश्यकताओं के बीच
इन्ही वीथिकाओ के ------
जंगल में -----------
चुनता हू शांति का
मूल -----
खोजता हू--------
संतोष का -----
फूल --------
किन्तु मेरी चेतना
सोई है ------
सदा की तरह ---
मेने अपनी पहचान
फिर खोई है !
------------------------------------रविन्द्र
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