Wednesday, July 20, 2011

इकरार


बात इकरार की हो तो 
बताता हूँ आज  ---
राज सीने में दफ़न है 
उसे खोलता   हूँ आज 
हकीकत  मै  प्यार हमने भी 
किया था  कभी ---
जब भी चाहा 
इनकार किया था तभी  
कम तुम भी  ना थे ज़रा 
उस वक्त ---
दर्द भर कर सीने में 
इकरार किया हमने जब कभी 
लफ्जो की रवानगी मोजूद 
दस्तूर की दुहाई ------
इनकार----
तुमने भी किया था तभी 
ये सच है कबूल करता हूँ आज 
मेरे हमदम -मेरे हम राज --
एक अनोखा 
रिश्ता हमने 
 निभाया था कभी ------!!!!!!!

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