Tuesday, July 26, 2011

कतरा


अब तुम क्या 
कीमत लगाओगे मेरी ----
सच तो ये भी है मेरे
 हमदम -दोस्त- ऐ -मेरे 
बहुत समझा पर फिर
 भी कम है देखो दुरिया 
अब मेरी------
आरजू ना बाकी इस जहां में 
कोई अब तो मुझमे है  ----
ख्वाबो में दफ़न  हो चली हैं  
हर ख्वाहिशे  मेरी  ---
रोशन करने की बात जब की 
तुमने मुझसे फिर  कभी ------
अचानक अंगुलियाँ जला दी 
खुद ही अपनों की ----
तुम मेरे ख़्वाब में 
अब आती भी तो क्यों ---?__
सच है आज खुद से कहता हूँ 
सपना उम्र भर भ्रम का 
देखा वो अब मै सहता हूँ -----
मै पानी का था-----  कतरा ही सही 
समुंदर ने फिर भी ढूंढ़ है
 मुझे-----------------------
 तुममे आज फिर  कही -----?

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