Thursday, June 16, 2011

जीवन


जीवन पर लिखने
जब मै जाता हु --
सब शब्द
 मोन हो जाते है ----
अंतस में भी जब
 ज्ञान बंद हो जाते है
ढलती हुई साँसों में
जब प्राण बंद हो जाते है ---
तब मित्रो सच है की
दर्शन याद ये आता है -----
मौत तू ही जीवन है
इसी लिए आता है --------
कहने को वेद सब
सुर्तिया सन्देश सब
यही तक आ के
साथ छोड़ चाले जाते है
चिता की लकड़ी पर तन भी
छुट जाता है ---
ऐसे में मन कही दूर
उड़ जाता है ---
पाता हु अपनों को
अपनों के बीच नहीं
यही एक सत्य
सुन्यता छोड़ जाता है
इसी लिए कहता हु ----
जीवन तो भंगुर है
खाली हाथ आना और
खाली हाथ जाना है
नहीं छोडनी है ---
सुन्यता कोई ऐसी
सुन्यता तो सुन्यता में
विलय हो जाती  है -------

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