अश्को के आईने में
मुस्कराता हुआ
अंदाज ---
वीरान हो चुकी खामोशी
थरथराता हुआ सा धुँआ
गहराती अंधी रातो में
टिमटिमाता हुआ सा दिया
कुछ पेगामो की दासता
कुछ अजनबी सा
अपना पन
दस्तको का झरना और
अजनबी आहट का बढ़ना---
सच है गुमनाम रास्ते
मुझे
आज भी पुकारते है ----
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