Monday, July 18, 2011

तीव्रता


मुझे पता है
 की मेरी सांस भी
 बंद जब होने  लगी
तुम  मेरी  सोंच में
 बहती चली गयी 
एक  शिद्दत(तीव्रता ) से कभी 
आँखों से गर्म लहू टपकने लगा 
जखम का ------दफअतन(सहसा )
मेरी कराह का रिश्ता ---
जो तेरी आहो से था कभी 
मेरी कांच की दुनिया आज 
अपनी ही वीरानियो में बेवा  जमी में 
जमीदोज  हो चली  है कही -----?
मेरी आँखों से गर्म  लहू फिर बहने लगा  है वहीँ --------------!!!!!!!!!

4 comments:

  1. peeda se dard ka gehra naata hai....gambheer vichaar ukerti hui rachna...bahut sundar

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  3. मै सोचता हूँ हर पल
    मेरी दुनिया कहा से कहा
    आ गई है
    जिंदगी की लड़ाई में
    मेरी जान कहा खो गई है
    बस यही सवाल रह गया है बाकि
    मै ही बे रंग हूँ शायद या
    मुझसे कोई खता हो गई है ...........
    अगर जवाब हो बता देना मुझको भी
    तुमको भी लगता है ऐसे ही
    या कोई और वजह हो गई है

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