Friday, July 22, 2011


मेरी तरसती निगाहें खोजती है अब तुम्हे 
लम्हों को  जिया था जो  कभी आँगन  में 
अचानक तारा जो आसमा में था कही वो 
दफअतन हो चला है मेरी निगाहों में वही--
प्यार की बयार ही कुछ ऐसी चली  हमदम 
सर्द एहसास की गर्मी में दहकती है जबान अब मेरी  ------!!!!

2 comments:

  1. जब निगाहों से निगाहों की बात चली
    हम भी बढ़ चले तेरे कारवां के साथ
    कुछ भूली कुछ धुंधली यादें
    फिर झिलमिला उठी इन निगाहों के साथ .............

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  2. Abhijay Srivastav, Ashish Tandon, Praveen Arya और 5 अन्य को यह पसंद है.

    Asha Pandey Ojha Asha very touchy
    22 जुलाई को 10:09 बजे · पसंद करें
    Ravindra Shukla aabhar ashaa ji ---
    22 जुलाई को 10:23 बजे · पसंद करें
    Ravindra Shukla amit ji abhinandan ---
    22 जुलाई को 10:23 बजे · पसंद करें

    Amit Gaur निगाहें निगाहों से मिला कर तो देखो !
    नए लोगों से रिश्ता बना कर तो देखो !

    हसरतें दिल में छुपाने से क्या फायदा !
    अपने होठों को हिला कर तो देखो !
    ...और आगे देखें
    22 जुलाई को 10:25 बजे · पसंद करें · एक व्यक्ति
    Ravindra Shukla bahut khub amit ji hameshaa ki tarah behtarin---
    22 जुलाई को 10:26 बजे · पसंद करें · एक व्यक्ति

    Amit Gaur thnx, sir, Ravindra Shuklaji, sab aap ka hi aashirvaad hai.
    22 जुलाई को 10:28 बजे · नापसंद करें · एक व्यक्ति
    Ravindra Shukla abhinandan priy amit--
    22 जुलाई को 10:29 बजे · पसंद करें · एक व्यक्ति

    Amit Gaur thnx,
    22 जुलाई को 10:29 बजे · पसंद करें
    Ravindra Shukla madan ji aabhar aap kaa----
    22 जुलाई को 10:42 बजे · पसंद करें

    Ashvani Sharma प्यार का अहसास खूब कराते हैं आप कविता खिंच ले जाती है
    22 जुलाई को 11:12 बजे · पसंद करें · एक व्यक्ति
    Ravindra Shukla dil se aabhar priy---sharmaa ji ---
    22 जुलाई को 11:13 बजे · पसंद करें · एक व्यक्ति

    Anand Kumar Ojha SUPER ..
    22 जुलाई को 16:59 बजे · पसंद करें

    Ashish Tandon वाह बहुत खूब सर
    22 जुलाई को 22:59 बजे · पसंद करें

    Deepak Bhatty Very Nice n senti...
    25 मिनट पहले · पसंद करें
    Ravindra Shukla sabhi mitro kaa aabhar --..

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