Wednesday, July 27, 2011

विचार

आज जब हम अति आधुनिक होने का दावा करते है तब कही मुझे लगता है हम अपने जमीर को भ्रम में रखते है ----आज हम संस्कारों की बात तो करते है पर क्या वास्तव में उसका अनुसरण करते है ---मुझे नहीं लगता की आज हम संस्कार गत प्रासंगिक है ---बढ़ते मीडिया का प्रसार हमें संस्कार विहीन कर रहा है ----आज कई बानगी देखने में आती है ---पुरुष अन्तह वस्त का विज्ञापन और महिला द्वारा देह प्रदर्शन --पुरुष बाड़ी डियो---महिला का आलिंगन ---ये सब क्या है ---क्या हम अति आधुनिक होने का आधार देकर नग्न मानसिकता को पोषित नहीं कर रहे है ---क्या आज पुरुषो को उपभोगता वादी नहीं घोषित किया जा रहा है ---क्या महिलाओं को सामान बेचने का माध्यम नहीं समझा जा रहा है ---हम किधर जा रहे है ---क्या ये सामाजिक संरचना के विरुद्ध उद्घोष नहीं है ---हम क्यों नहीं महिलाओं को मर्यादाओं में रहने का सन्देश नहीं देते ---एक सवाल महिलाओं से क्या वो मात्र उपभोग की वस्तु तक अपने को सीमित करना चाहती है वो ---क्यों भोतिक वादी संस्क्रती का हिस्सा बन रही है ---विवेक में वो बहुत आगे है --पर क्या नग्नता ही आधुनिकता है ---विचार करे ---मुझे आप सब के विचार चाहिए ---की हम किधर गलत है ----आभार सब का ---- ...

1 comment:

  1. Ravindra ji....hamarey vichaar sey Naari aur purush dono sey samaj bantaa hai aur ye sab samaj ki kriyayen hai....jismain purush varg balishth mana jaataa hai,,,to jab tak purush varg is par apnee pratikriyaa shbdon main naheen kartvyaparyantaa ke roop main agar naheen aaropit karegaa to aadhunikta ki race main naari ka upyog hota rahega,

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