Friday, July 8, 2011

प्रासंगिक नहीं ------?

प्रासंगिक नहीं ------?
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वो नया परिवेश था
तुम घबराई कुछ
सकुचाई हुई  थी
मुझे याद है
आज भी
तलवारों के साए में
हाथो की लकीर  से
खीचा था तुम्हे ---
युग बीता
सदिया बीती
हिम भी पिघल गये
हम आज भी
वही है --पर
तुम ---?
सिलवटो की
परिध में
अभी भी
उलझी हो
क्या मेरा
अस्तित्व नकारता है तुम्हे
या आज हम
प्रासंगिक नहीं ------?

1 comment:

  1. Jitendra Pandey, Upasna Siag और 3 अन्य को यह पसंद है.

    Aparna Khare वाह दादा बहुत सुंदर
    बीते कल 17:50 बजे · नापसंद करें · एक व्यक्ति

    Nirmal Paneri अस्तित्व नकारता है तुम्हे
    या आज हम
    प्रासंगिक नहीं ------?!!!!!!!!!!!!!!!!!!!​!!!!!!!!!ni shabd hun !!!!!!!!!
    22 घंटे पहले · पसंद करें · एक व्यक्ति

    Akhilesh Sharma वो हम न थे ............वो तुम न थे ...............!
    21 घंटे पहले · पसंद करें

    Prerna Sharma वाह ,,रविन्द्र जी , भावपूर्ण रचना .. बधाई ..!!
    18 घंटे पहले · पसंद करें · एक व्यक्ति

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