Saturday, July 30, 2011

दुश्मनी


दुश्मनी 
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दुश्मनी शब्द से मुझे परेशानी है कही 
उदार शब्दों की विपरीत बानगी है कही  
उदार शब्दों की कब्र गाह में जब कभी 
आधुनिक जम्हूरियत  की बात सुनता हूँ 
दोनों विपरीत ध्रुव  को एक  करता हूँ तभी 
गौरतलब है कि हत्याओं और आतंक का यह दौर 
ऎसे वक्त भाव हिन् हो जाती  है मेरी अभिव्यक्ति 
स्वभाव से मूलत: कोई भी  यथास्थितिवादी होता है नहीं 
पुनर्जागरण, ज्ञानोदय, फ्रांसीसी क्रांति, औद्योगिक क्रांति 
जैसी घटनाएं  अब घटती ही नहीं -------
चिंतन की सतह पर विरक्त हो जाता हूँ 
क्या करू -------संवेदन शील ---आभिजात्य जो कहता हूँ अभी ----?

1 comment:

  1. vishay kuch ajeeb saa jis par sab naheen likhtey,,,ya likh saktey hain ,haan insaan jeeta jaroor hai,,,,sir bahut achee abhivyakti...

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