हाँ
हमने भी
पत्र लिखा था कभी
जब एहसास
जगाने लगे
भरी आँख
स्वपन दिखाने लगे
मर्म जब
अजनबी होने लगा
स्पंदन भी
बोझिल होने लगा
तब हमने भी पत्र
लिखा था कभी--
ना तेरा जवाब
आया अभी
झुल्झुलाहत में
मुझको
ना बुलाया कभी
और हम आज भी
सहमे से
इन्तजार में जवाब के
दुवा ही किया करे ---?
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