अंगूठी --
सम्मोहन की सतह पर आज प्रासंगिक है अंगूठी
प्रेम की निशानी और सोंदर्य की अनुभूति है अंगूठी
तन का गहना और मन की चाहत है ये अंगूठी
मन का अर्पण और तन का अंग है ये अंगूठी
अंगूठी --प्रेम सोंदर्य और समर्पण की विरासत है
मेरी और तुम्हारी गंभीर चाहत है ये बावली अंगूठी
वेदना जब चरम पर हो जाती है भीरु होती है ये अंगूठी
सांस बंद जब हो जाती है ---लालच होती है ये अंगूठी
मेरा दंभ है---- खुबसूरत आवरण है ये अंगूठी -------
मित्रो ये प्रेम की निशानी नहीं ---कलाह की जड़ है ये अंगूठी ---
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