दिखने लगा है आज मुझको
दर्प तेरा -ओ- मनुष्य ----
वेदना की बात जब हो
याद तब आता मुझे
हार गयी जब मै तो फिर
उड़ने की छमता ही नहीं
वो
ह्रदय की मधुर ममता
अब व्याप्त मुझमे नहीं ----
लोग कहते है मुझे पक्षी
पर सत्य तो ये भी है
दामिनी का दमकना
वायु का फिर ये बहेना
सांस की आवाज तो मानो
शून्य में चित्कार है.---
व्योम के नीचे--पड़ी हुई मै
आज एक निश्वास हूँ----------
दिखने लगा है आज मुझको
दर्प तेरा -ओ- मनुष्य ---
दर्प तेरा -ओ- मनुष्य ---!!!!!!!
insaan ko parkhney ke baad yehee satya hai, puri ki puri kaaynaat ka dambh insaan jeeta hai
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