vartika
Tuesday, July 12, 2011
बहकती जिन्दगी
बात चली तो कहता हूँ
आज फिर
बहकती हंसी रुक गयी है
कही ------
जमे आंसुओ की तरह ----
आज फिर ----
हमने तो अंधेरो के साए में
बहकती जिन्दगी
देखी है कही --------------!!!!!!
1 comment:
amit
July 12, 2011 at 12:33 PM
sundar abhivyakti...
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sundar abhivyakti...
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