vartika
Saturday, July 30, 2011
आत्म विवेचना
आत्म विवेचना ---
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जर्जर मका की तरह आज फिर
मुझे बदलना ही होगा अपना स्वरूप
टूटे दरवाजो की जगह आज मेहराब
सीढिया मजबूत इस्पात की और
उंचाई आसमान की देखो तो ज़रा
मुझे पता है की खंडहर बताएंगे की
इमारत बुलंद होगी ---------?
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