ये संयोग नहीं कि--
लम्हों को पलों में जीना
और ----
पलों को सदियों में गिनना ---?
जब कभी
आंदोलित होता हूँ
दहशत से ----
कही चिटकन का
एहसास होता है
तब ---
नाकाबिले गिरफ्त (जो पकडे ना जा सके )
स्म्रतियां ----
मंथन कि सतह पर
बोझ बन जाती है
उनको अनुभूति में
ढालना फिर -----
बहक -बहक जाना
सच में मेरा मर्म
उनको पकड़ने ही
कोशिश में ------
फिसल कर
टूट -टूट जाता है ------!!!!!!!
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