अब तुम क्या
कीमत लगाओगे मेरी ----
सच तो ये भी है मेरे
हमदम -दोस्त- ऐ -मेरे
बहुत समझा पर फिर
भी कम है देखो दुरिया
अब मेरी------
आरजू ना बाकी इस जहां में
कोई अब तो मुझमे है ----
ख्वाबो में दफ़न हो चली हैं
हर ख्वाहिशे मेरी ---
रोशन करने की बात जब की
तुमने मुझसे फिर कभी ------
अचानक अंगुलियाँ जला दी
खुद ही अपनों की ----
तुम मेरे ख़्वाब में
अब आती भी तो क्यों ---?__
सच है आज खुद से कहता हूँ
सपना उम्र भर भ्रम का
देखा वो अब मै सहता हूँ -----
मै पानी का था----- कतरा ही सही
समुंदर ने फिर भी ढूंढ़ है
मुझे-----------------------
तुममे आज फिर कही -----?
No comments:
Post a Comment