प्रासंगिक नहीं ------?
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वो नया परिवेश था
तुम घबराई कुछ
सकुचाई हुई थी
मुझे याद है
आज भी
तलवारों के साए में
हाथो की लकीर से
खीचा था तुम्हे ---
युग बीता
सदिया बीती
हिम भी पिघल गये
हम आज भी
वही है --पर
तुम ---?
सिलवटो की
परिध में
अभी भी
उलझी हो
क्या मेरा
अस्तित्व नकारता है तुम्हे
या आज हम
प्रासंगिक नहीं ------?
Jitendra Pandey, Upasna Siag और 3 अन्य को यह पसंद है.
ReplyDeleteAparna Khare वाह दादा बहुत सुंदर
बीते कल 17:50 बजे · नापसंद करें · एक व्यक्ति
Nirmal Paneri अस्तित्व नकारता है तुम्हे
या आज हम
प्रासंगिक नहीं ------?!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!ni shabd hun !!!!!!!!!
22 घंटे पहले · पसंद करें · एक व्यक्ति
Akhilesh Sharma वो हम न थे ............वो तुम न थे ...............!
21 घंटे पहले · पसंद करें
Prerna Sharma वाह ,,रविन्द्र जी , भावपूर्ण रचना .. बधाई ..!!
18 घंटे पहले · पसंद करें · एक व्यक्ति