vartika
Tuesday, July 5, 2011
जख्म
तुम्हारे दिए जख्म
अब
भरते नहीं --
ये वो गम है जो
कभी
मरते नहीं
चाहत थी उम्र
निकल जायेगी
खूबसूरती में
अब तो रास्ते है
मंजिल भी है
वक्त भी और
दस्तूर भी --
लेकिन
रास्ते देख कर
मंजिल नहीं
मिलती
मुझे ----!!!!!!
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