पानी का बुलबुला हूँ
छूना मत ----
तरंगित होता हूँ
वेग से -----
कंकड़ का एक टुकडा
मुझे विस्तार देता है
और तब मुझे
अपना लचीला पन
आंदोलित करता है
बहता हुआ कतरा
जब समाहित होता है
मुझमे -----
विराट से लघुता
का एहसास दे जाता है -------
ऐसे में लीनता की
परिभाषा बदल जाती है -------?
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