गिर गये आज
मजबूत दरख्तों
यार तुम भी देखो
आंधियो की सोगात में अब
फूल से लिपटी
पड़ी है यार तितली
दम हो तो आज उसको भी
हिला कर देखो ----
सरकती जाती है जिंदगी
कुछ इस अंदाज से
इस जमीं का
दरकना तो आज देखो ------
काव्य का
आकर आज ये है
रंग बिरंगी
तितली के पंख देखो -----
मत छुओ
बेचारगी की ----
मोहताज थी जिन्दगी कीतब वो
आब तो यारो
प्यार से बस
उसका उड़ना ही देखो -------
...
khoosoorat magar saty bhi
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