Monday, June 6, 2011

शिष्टाचार



शिष्टाचार ---
वो भी संस्कार गत
मन बोला ----
जीवन का शिष्ट होना
न केवल काफी है ----
शिष्ट आचरण ही --
शिष्टाचार  का पर्यावाची है ------
शिष्टाचार -----
नेतिक -सामाजिक
जागरूकता का
बोधक है --------
अवनति से उन्नति तक का
खोजी है -------
चेतना जब ---
रिक्त हो जाती है ---
संस्कारगत शिष्टाचार  ही
काम आती है ------
दोस्तों ---संस्कारगत
शिष्टाचार  की बात करे तो
हमारी शिष्टाचार
सभ्य -उदारवादी है
शालीनता से किया गया काम
संस्कारगत  शिष्टाचार  है ----
मेरे बुजुर्गो ने
एसा ही बोला है ----
शिष्टाचार  की व्याख्या मुश्किल है
पर अंत नहीं -----
यूगो तक चलने के बाद
ये समझा है ----
माधुर्यता - सादगी -ओ -
सज्जनता इसकी बानगी है ---
बाकी सब एक कहानी है ---
सामान्य से  लगने वाले
ये "नाद" नहीं  ---
सागर है -----
एक सेतु बना सकते है ---
हम सभी को
सभ्य -ओ- शिष्ट
बना सकते है ----
दूसरो के प्रति
प्रेमात्मक रवैया
सहयोगी नजरिया
स्वार्थ रहित जीवन को दर्शाते  है
चिंतन को जब
आध्यात्मिकता से जोड़ा जाता है
कोई सिद्धांत बोया जाता है
पाता हु
शिष्टाचार  वो भी संस्कारगत
जीवन को सादगी पूर्ण
बनाता है ----
शायद हमें
विश्वासी - भाव - वेदनाओं
से आत्म सात कराता है
ये भाव सागर को गागर में
भरने जेसा है
इसी लिए मित्रो
मेरा ये कहना है ---
व्याख्या तो बहुत सुनी पर ---
शिष्टाचार  वो भी संस्कारगत
हमारा अनमोल  गहना है ---
हमारा अनमोल गहना है ------

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