Wednesday, June 1, 2011

वसीहत

मेने एक वसीहत की थी
मेरे बाद जब खोली गयी
सब को कुछ मिला पर------
एक तुम जो हम थे
एक डायरी और एक रचना
पाकर भी संतुष्ट ना हुए ---
क्या मेरा मर्म इतना कमजोर
निकला ----
विवेचना जारी है ------------!!.

No comments:

Post a Comment