Saturday, June 18, 2011

वतन

जल गया -देश सब
तुम निराहते रहे ---
देश की शान पर
आन और बान पर
मात्र एक वोट को
वतन और जमीन को
तुम सदा ------
रक्त से नहलाते रहे -----
भस्म सब हो गया
अन्धकार बढ़ गया
तुम नई नीति को
और भी चमकाते रहे
और भी -----
चमकाते रहे ------
मन फिर क्यों विद्रोही हो
क्यों ना पूछे तुम से फिर
तुम ही वतन हो
या वतन
तुम से ----एक अनुतरित प्रशन --------
मंथन आप का निर्णय देश का-------
मेरा प्रणाम !!!!

No comments:

Post a Comment