Monday, June 13, 2011

रण

अपनी लड़ाई खुद लड़ो
तुम मोहताज नहीं किसी 
आंधी के ---
उढाओ नफरत के खिलाफ  
इन्कलाब का नया फतवा ---
तुम इतहास हो ---
रचो एक नया वुय्ह 
क्रान्ति तुम में  निहित है 
बंद दरवाजे में 
सुराख से 
आने वाली रौशनी तुम हो 
सार्थक रण के उदगम तुम ---
तुमको मेरा प्रणाम --------!!!!!!

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