Wednesday, June 29, 2011



अश्को के आईने में 
मुस्कराता हुआ 
अंदाज ---
वीरान हो चुकी खामोशी 
थरथराता हुआ सा धुँआ 
गहराती अंधी रातो में 
टिमटिमाता हुआ सा दिया 
कुछ पेगामो  की दासता  
कुछ अजनबी सा
 अपना पन 
दस्तको का झरना और
 अजनबी आहट का बढ़ना---
सच है गुमनाम रास्ते 
मुझे 
आज भी पुकारते है ----

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