Wednesday, June 22, 2011

अन्वेषण


तुम आशा
 और 
विश्वास की 
बात करते हो 
हम निष्ठा से बंधे है 
तुम आध्यात्मिक हो 
हम  व्यवहारिक है 
इस धरा पर 
क्या मिलना संभव है ----?
आध्यात्मिक कभी 
व्यवहारिक नहीं 
हो सकता -------
और व्यवहार कभी 
आध्यात्मिक नहीं ---
मंथन की सतह पर 
आज फिर निष्ठा और 
आशा और विश्वास 
सामने कुरु छेत्र का 
आभास दे 
रहे है ----------
गीता क्या कहती है ---?
संतुलन के बीच 
आम हो चला "मै"
सत्य का 
अन्वेषण नहीं 
कर पाता -----
हे प्रभु तुमको 
प्रणाम !!!!!!!!!

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