Wednesday, August 10, 2011

जलते है आशियाने


जलते है आशियाने 
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जल गये सब आशियाने  जब 
अपने के  चरागों से ------
दो बूंद कतरा भी ना निकल सका 
आँखों के पैमाने से -------
जलता आशियाना नहीं 
अरमान है मेरे -----
तड़पती जिन्दगी में 
धड़कते हम और  तुम है कही 
सुन नहीं रहे है लोग फ़रियाद अब 
क्षत विक्षत सी हालत में--
देख के जलती हुई आशिआने की लाश
मुझे मेरा मुकदर याद आ गया ----!!

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