Friday, August 26, 2011

अन्ना

लखनऊ ---दिन भर की राजनितिक गति विधि को आकलन करने के बाद जब शाम गाँधी प्रतिमा के पास पार्क में पहुचा तो मन आशंकित था ---एक दिन पहले कुछ लोगो का मनोबल कम महसूस हुआ था आन्दोलन के प्रति ---पर ये क्या ---आज तो जन सेलाब पुरे शबाब पर था ---मेरी सहयोगी बेंगलोर से सुमन का साथ और मेरा सजीव उन्माद ---आज लखनऊ में ख़ास बात जो उभर कर सामने आई वो थी बहुत से सामाजिक संगठन वा समितिया जो आन्दोलन को नया जोश दे रही थी ---समाज के प्रमुख व्यक्ति श्री गणेश चर्तुर्वेदी जी की शिरकत वो भी अपने पूरे समूह के साथ वाह क्या जज्बा था ---सबका एक ही नारा अन्ना तुम  संघर्ष करो हम तुम्हारे साथ है -----सहायता संगठन की बुजुर्ग महिलाओं का उत्साह देखते बनता था ---मेरा नमन उस सभी को -------विकलांग व्यक्ति हो या सामान्य सभी उन्माद में व्यस्त ---और हम एक साथ कई प्रशन  लिए निर्विकार खड़े सोंचते रहे -----एक और गरीबी की बात नेताओं के मुह से दुसरे तरफ गरीब जनता का उद्घोष ---बेचारगी की मार में पिस्ता आम नागरिक और मुखरित होती व्यंजनाये ---कोमल स्पर्श की प्रतीक आम भारती नारी ---वही रानी लक्ष्मी बाई का अवतार ---हम एक साथ तमाम व्यक्तित्व देख रहे थे -----आज हम यक़ीनन कह सकती है हम अपना अधिकार मांगने के लिए मोहताज नहीं -----कही किसी विचार धारा में पढ़ा था की अधिकार मांगे नहीं छीने जाते है उस वक्त हम सहमत नहीं थे पर आज की व्यवस्था में मुझे ये प्रासंगिक लगता है ----हम जागरूक हो रहे है ---ये प्रबल पक्ष है सामाजिक संरचना का ------मुझे ख़ुशी है हम इस काल में जी रहे है जब देश सशक्त निर्माण में जमीनी हकीकत से जुड़ रहा है ----कोन कहता है की क्रान्तिया मर गयी ---हमने जमीदोज  शब्दों को आकार खोते देखा है इस आन्दोलन में ---जय हो ---लिखने को बहुत है पर मेरी सहयोगी सुमन ने पूरी निष्ठा और लगन से जिस प्रकार सजीव समीक्षा की उसका मै कायल हूँ ---और अपना आभार व्यक्त करता हूँ ---आज सुमन पर हमें गर्व है --जिस प्रकार का आलेख निडरता से वो लिखती है ---वो पत्रकारिता के लिए आदर्श दिशा है ---सुमन मेरी बहादुर बेटी आभार ----जय हो जय हिंद  ----

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