Tuesday, August 23, 2011

अन्ना जी और जन आन्दोलन

इधर काफी दिनों से स्तम्भ में कुछ लिख नहीं पाया ------मन संतुलन में नहीं था ---पर आज लिखने का मन है -----क्या लिखूं ---बात एक आग की ---अन्ना जी और जन आन्दोलन ------अपने पुरे जीवन में हमने जमीनी हकीकत का ये सबसे बड़ा आन्दोलन देखा    ----सुना था जे ० पी०  का आन्दोलन बहुत बड़ा था ---फिर आया चिपको आन्दोलन हम गंभीर नहीं थे तब ---आज अन्ना की आंधी ---जवाब नहीं -----सभी चिंतन पटल पर ये आन्दोलन याद रखा जाए गा ---आजाद भारत में आजादी की सांस के लिए आन्दोलन ---वाह अन्ना जी ---सत्य है व्यक्ति से व्यक्तित्व भारी होता है ---ये साबित हो गया ---ऐसा आन्दोलन को  सब वर्ग का समर्थन है ---सेलाब सडको पर आ गया है ---हमने आजादी का आन्दोलन नहीं देखा पर गर्व है की हम अन्ना जी के आन्दोलन में है ---एक जिमेदार नागरिक के रूप में आज समाज ने दस्तक दी है ---हम कितने त्रस्त है आज व्यवस्था से ----हर जागरूक व्यक्ति अपनी तरह से आन्दोलन को गति दे रहा है ----मूक -बधिर लोगो को जब आंदोलन में शिरकत करते देखा तो मर्म जाग गया ----वो अपने संकेतो की भाषा से अन्ना को समर्थन दे रहे थे ---हम भावुक हो गये ---आज जिस देश में मूक बधिरों को भी आवाज उढानी पड़े ---धिक्कार है ऐसे समाज का ---हमें पूरी संरचना ही पंगु लग रही है ----हम किसी विचार धारा वादी व्यक्ति नहीं है --पर संवेदनाये कही आक्रोश व्यक्त कर रही है ----हम क्या कर रहे है ---क्या निर्माण कर रहे है ---जन सेवक के रूप में सांसद को चुन कर हम संसद में भेजते है पर वो क्या करते है ----केंद्रे द्वारा भेजा गया १ रुपया  आम जनता तक आने में मात्र १५ पैसा हो जाता है ---ये सब क्या है ---अंत में मुझे लगता है की ५०० के उपर सांसद के स्थान पर ५ अन्ना जी जेसे जन समर्थक हो तो देश की प्रगति तेजी से हो सकती है ----आवाम को आवाज करनी ही होगी --तभी हम सार्थक समाज की संरचना कर सकते है -----जय हिंद -----जय भारत -----

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