Saturday, August 6, 2011

बंधन


बंधन 
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बंध गया हूँ आज
 अपने बुने जाल में 
मोह और अपनत्व ,
 जीवन के जंजाल में 
मेरा फेंका पासा 
आज प्रासंगिक नहीं 
सोंचा भौतिक जीवन ही
 सच है -------?
बुद्ध भी महा भिनिशक्रमण के कारण 
जाने जाते है ------
पर   अब  और नहीं -----
भ्रम अब  और नहीं ----
 कुछ पाने की चाह में , 
न जाने क्या-क्या मैं खोता गया..
बोता गया अपने आकांशाओ का बीज
मै अचंभित हेरान ---दूर कही ----
स्वीकारता  हूँ ---गर्व से आज 
बंधन के बीच , बंधा मै 
अपने बंधन को खोजता हूँ ----? 

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