Thursday, May 26, 2011

संवाद


अचानक चलते चलते रूक गया ...सामने यातायात का जाम लगा था निकलने का रास्ता न था भीड़ का शोर -शराबा आगे निकलने की ललक लोगो को एक दूसरे पर चडने पर मजबूर कर रही थी थकान से डूबा मै रास्ते के किनारे रूक गया पास ही
कुछ लोगो का  समूह किनारे आपस मै बतिया रहा था संवाद हमारे कानो तक पड़े .....अरे ननकू क्या बात है आज इतनी
भीड़ क्यों है -----ननकू की आवाज ---शायद सरकार का कोई मेला है ---मुझे आनंद आया और निकट गया शायद कोई नई
खोज मिल जाए ..?   तभी देखा एक रिक्शा चालक पसीने से तरबतर आया और सामने गिर गया ...... सभी अचंभित ....ग्रामीण समुदाय में हलचल बाद में पता चला की गावो में बेटी का गोवना है पैसा कमाने की ललक में वो शहर आया था नोकरी मिली नहीं पारिवारिक जिम्मेदारी और आर्थिक संकट के कारण उसने अपनी एक किडनी बेच दी वो भी चाँद रुपयों के लिए ------- आज निस्तेज पड़ा वो व्यक्ति भारत के स्वत्रन्त्र तस्वीर प्रतीत हो रहा था ..... मेरा भारत महान ... हम आज भी सामंती संस्क्रती तोड़ नहीं पा रहे है ? आप का चिन्तन क्या कहता है ? दोष हमारी आर्थिक स्वाबलंबन का है या बेरोजगारी  कही हमारी जनसंख्या इसका समाधान हमारी बुनियादी जरूरत है .......

No comments:

Post a Comment