Friday, May 27, 2011

वार्षिक समारोह


अवसर था पुराने विद्यालय का  
वार्षिक समारोह  
हम भी आमंत्रित मित्रो ---
सभागार 
खचा-खच भरा हुआ --
वक्ताओं ने ---
मुह खोला ---
फिर बोला 
शिक्षा बुनियादी 
जरुरत है -----?
हमें संस्कारगत  शिक्षा 
पर जोर देना  ही ---
परम कर्त्तव्य है ----
हमने इतनी
योजनाओं को बोया ---
घन से ढ़ोया---
बड़े प्रयोग किये है --
इसी लिए ----
आज खड़े है ------
अरे बच्चो----
जीरो का 
आविष्कार हमने ही किया है ---
तमाम बाते ----
खामोशी से 
सुनी मैंने ---
मन बहुत खुश  था --
अतीत कितना 
विवेकी था --
वर्तमान भी विवेकी है ---
भविष्य तो --
नया इतिहास लिखेगा ----
तभी मित्रो एक  घटान 
घटी ----
समारोह में 
दस लाख का अनुदान 
वो भी ---
गडित विषय पर ---
तालियों के मध्य --
मै भी आनंदित ---
सोंचा -----
बच्चो से दस लाख लिखवाऊ 
मजाक में 
पास बेठे बच्चे से कहा 
दस लाख लिखो ---
उसका कहना था --
इकाई - दहाई- से अधिक 
अभी ---मुझे 
कुछ नहीं आता है ---
मेने कहा ---
तो दस लाख क्या है ----
उसने मासूमियत से कहा ---
सार्टिफिकेट से हमारा 
गहरा नाता है ----
अंको की गड़ना 
से मुझको क्या करना 
नेताओं का तो ये मंथन 
पुराना है ---
ये तो एक फसाना  है 
मुझे अंक की जरुरत नहीं ---
बस इकाई से ही ---
अपने को बहलाना है ----?

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