Thursday, May 26, 2011

हमारे पूज्य पिता श्री


प्रिय मित्रो ,
१६, मार्च १९८३ को प्रात : पूज्यनीय हिंदी जगत के सुधि समीक्षक  एवं आलोचक स्वर्गीय श्री उमेश चन्द्र शुक्ल  (हमारे पूज्य पिता श्री ) जी हम सब को अकेला छोड़ कर ईश्वर में लीन हो गये थे ! उनकी यादे हमारे मानस पटल पर आज भी अंकित है ! उनकी प्रेणा हमारे रक्त में प्रवाहित हो कर नवीन चेतना का संचार करती रहती है !
हिंदी ,इंग्लिश , एवं संस्कृत भाषा के मर्मग्य मेरे पिता स्वर्गीय  श्री उमेश चन्द्र शुक्ल जी का जन्म २० जुलाई १९३१ को संगम की  पावन भूमि इलाहाबाद में एक साहित्यिक परिवार में हुआ था !उनके बाबा स्वर्गीय श्री  कुञ्ज बिहारी लाल शुक्ल एवं ताऊ स्वर्गीय श्री रमा शंकर शुक्ल "रसाल " तथा पिता स्वर्गीय श्री राम चन्द्र शुक्ल "सरस"  हिंदी साहित्य की अनुपम विरासत है ! स्वर्गीय श्री उमेश चन्द्र शुक्ल जी ने हिंदी साहित्य में अगीत विधा को नवीन आयाम दिया !अपने अल्प  काल के जीवन में उन्होंने विराट साहित्य साधना की एवं चिंतन को नवीन दिशाए दी !------विश्व का संवैधानिक इतिहास -इंग्लैंड , अमेरिका , ऑस्ट्रेलिया , इंडिया ----, कोठारी कमीशन (हिंदी एवं इंग्लिश  में ), मोर्डेन इंडिया , पोलिटिकल थौट , राजा राम मोहन राय से लेकर गाँधी  तक, प्रिंसिपल ऑफ़ पब्लिक एडमिस्ट्रेशन  आदि !४८ पुस्तको   की रचना आज भी उनकी लोकप्रियता एवं सारगर्भित लिखान को प्रदर्शित करती है !
आज उनके बताए मार्ग पर चल कर हम सभी उनको सादर नमन करते है !

------------------------------------------
पिता जी को सादर समर्पित एक चिंतन -------
******************************************
ये सुचिंतित सार्थक विद्रोह नहीं
चेतना की उदिग्निता मात्र है !
ये विश्व व्यापी आक्रोश नहीं
विक्षिप्त भारती परिवेश है!
भावनाओं के विक्षिप्त घुन्घुरो के बीच
कही जब ये बेहया शब्द
टकराते है
मूल्य  हीनता , दिशा विहीनता , राष्टीय चरित्र को
दोहराते है !
ये सत्य है -----
आक्रोश
एक बार फिर कही चिर जीवित,चिर नूतन
सा हो जाता है !
ला फेकता है
अतीत के गर्त में
अतीत भी चटक सा जाता है !
ये कौन है जो चिघाड रहा है
वर्ग संघर्ष से सामान्य इक्षा
पा रहा है
अब तो मार्क्स भी नहीं संघर्ष
बताने   के लिए
रूसो भी नहीं इक्षा
खोजने के लिए
फिर चिंतन की नई गहराई में
बलखाती तरुणायी में
सुनने में आता है
अभी -अभी एक मौत
और हुई !
--------------रविन्द्र

No comments:

Post a Comment