Thursday, May 26, 2011

मंथन


वर्तमान समय में मेरा प्रत्येक लोगो से ये अनुरोध है की अपनी देनिक चर्या में उनके दुवारा स्वावलंबन हेतु अपने जीवन में कुछ नियमो का निर्माण करना चाहिए और विषम परिस्थिति में भी उन नियमो का उलंघन नहीं करना चाहिये ! इससे उनके संस्कारों में नियमितता एवं नेतिक उथान में अवश्य सुधार होगा ! मेरी सोंच के अनुसार ये भी एक प्रकार की देश सेवा होगी जिसकी आज अति आवश्यकता है
  

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