Thursday, May 26, 2011

चिंतन


मै तो उलझा रहा उलझनों की तराह -----------
**************************************
आज का चिंतन --------
************************किसी पोस्ट पर देखा था की "माता -पिता भगवान के रूप होते है " पर चर्चा प्रवाह में हो रही थी ----इस संदर्भ में मै भी ये मानती हू ! लेकिन हर माता - पिता को भगवान का दर्जा नहीं दिया जा सकता ! जो माता - पिता भ्रूण जांच के उपरान्त कन्या होने  पर गर्भ पात करवा देते है , क्या ऐसे माता - पिता में भगवान का रूप देखना उचित है ----? जो अपनी उस अजन्मी संतान की ह्त्या मात्र वंश को आगे बढाने और मोक्ष पाने की अभिलाषा के कारण करवा देते है ---ऐसे माता - पिता को भगवान् तो क्या इंसान होने का दर्जा भी मै नहीं देती -----ये मानवोचित संस्कार नहीं ------
ये तो एक छोटा  सा उदाहरण है ----!इससे भी ज्यादा  घ्रणित माता - पिता के बारे में आप ने अखबारों , टेलीविजन , पत्रिकाओं पर पढ़ा व देखा होगा ----!
इश्वर एक सक्ती है जिसका कोई भी रूप हो सकता है लेकिन उसमे झूठ , पाप , अत्याचार , नर ह्त्या , कुटिलता जेसी अनेक  बुराइया नहीं हो सकती  -----!
उन सभी माता - पिताओं को में अभिनन्दन करती हू जो बेटे और बेटी को समान प्यार और अधिकार देते है ------
----------------------------------------------आप सभी का आभार -----
---------------------------------------------------------------------------श्रीमती मिनाक्षी शुक्ल ---लखनऊ 

No comments:

Post a Comment